सोशल मीडिया का आम जन-जीवन पर बढ़ता प्रभाव
संचार क्रान्ती के युग में डिजिटिलाजेशन के बढ़ता प्रभुत्व सोशल मीडिया की नई विधा को जन्म देता है। इंटरनेट तकनीकी के माध्यम से हर दूसरा व्यक्ति अपने भावों व विचारों को मूर्त रूप देने में सक्षम है। सोशल मीडिया की आभासी दुनिया तकनीकी ज्ञान से सूचना विचार रूचि कार्य क्षेत्र चुनने का आधार है। यह सोशल नेटवर्किग साइट्स जैसे फेसबुक, वाट्सऐप, इंस्टाग्राम, ट्वीट्र, स्नैपचैट, टिकटाक, यूसी ब्राउसर, यूट्यूब के माध्यम से समाज में व्याप्त हर तरह की गतिविधियों को फैलाने व परोसने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस प्लेटफार्म के माध्यम से हम देश विदेश व दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्र से भी जानकारी अर्जित कर सकते है। इसका सामाजिक दायरा हर व्यक्ति अमीर-गरीब, हर तबके, व हर आयु के लोगों को अपनी अभिव्यक्ति को कहने व समझाने की आजादी प्रदान करता है।
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सोशल मीडिया का आम जन-जीवन पर बढ़ता प्रभाव |
सोशल मिडिया एनालिटिक्स फर्म के सर्वे के आधार पर 2010 से 2019 के बीच सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले ऐप है, जैसे फेसबुक वाट्सऐप इंस्टाग्राम, ट्वीट्र स्नैपचैट, टिकटाक यूसी बा्राउसर यूट्यूब है। इस प्लेटफार्म से व्यक्ति अपनी बात को जन जन तक पहुंचने , शेयर करने, मैसेज भेजने, व लाइक करने का साधन है। भारत 80 प्रतिशत जनता मोबाइल से जुड़ी है।
Internet and mobile association 2019 की रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट प्रयोगकर्ता के रूप में भारत का स्थान विश्व में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
भारत में 451 लाख लोग सक्रिय इंटरनेट प्रयोग कर्ता है जबकि चीन में 800 लाख लोग प्रयोगकर्ता है। इसी रिर्पाेट के अनुसार 269 लाख लोग फेसबुक यूज़र है, 78 लाख लोग इंस्टाग्राम यूज़र है तथा 28 लाख लोग वाट्ऐप यूज़र है। 385 लाख लोग 12 वर्ष से अधिक आयु के लोग है।
इस रिर्पाट में यह भी कहा गया कि 293 लाख लोग शहरी क्षेत्रों के व 200 लाख लोग ग्रामीण क्षेत्रों के है तथा 97 प्रतिशत इंटरनेट प्रयोकर्ता अपने मोबाइल का प्रयोग करते है।Statista ने अपने सर्वे मेें कहा है 2019 में कहा है कि भारतीय ढ़ाई घन्टे अपने सोशल मीडिया पर व्यतीत करते है।
सोशल मीडिया का सकारात्मक पक्ष
जागरूकता अभियान इस माध्यम से कोरोना महामारी के संक्रमण से निपटने के लिए लोगो को जागरूक किया जा रहा है। सरकार आदेशो का पालन करने के लिए विभिन्न माध्यमों से लोगो को लाक-डाउन के समय घर मेें रहने के लिए संदेश प्रसारित किये जा रहे है।
मनोरंजन, फिल्म व फैशन जगत भी इस माध्यम से लोगो के रूचि के आधार पर मनोरंजन करते है। फिल्म जगत ग्लैमर जगत भी इन साइट्स का प्रयोग करते है।
रिश्तो पर प्रभाव इस माध्यम से लोग सोशल मीडिया ज्यादा एक्टिव रहते हैं जिससे वे नये-नये दोस्तो के सम्पर्क में आते है तथा समाजिक दायरा भी बढ़ता है, किन्तु इसका नाकारात्मक पहलु यह भी है कि वे समाज व आस पड़ोस से तथा अपने सगे संबंधियों से कट जाते है। एकान्तवासी हो जाते है। युवाओ में अवसाद की भावानायें उत्पन्न हो जाती है। पति पत्नी के रिश्तो में दरार आ जाती है क्योकि उनका ज्यादातर समय तो आनलाइन व्यस्त रहते है तथा घर में ज्यादा समय नही दे पाते है।
सोशल मीडिया में पेश किये विचारों व आलेखों का कोई मौलिक आधार नही होता तथा किसी की जवाबदेही तय नही होती है। यहां पर प्रस्तुत विचारो का कोई मालिक नही होता तथा यह किसी की प्र्राइवेसी को क्षति पहुंचा सकता है।
सोशल मीडिया नकारात्मक पक्ष
इस माध्यम से फेक न्यूज़ को फलने फूलने का अवसर मिलता है। व्यक्ति किसी विचार धारा से प्रेरित होकर नकारात्मक विचारो से तथा भ्रामक विचारो के द्वारा समाज को गुमराह कर सकता है। फेसबुक ग्रुप वाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से अफवाहों को दिनदूनी रातचैगुनी गति से फैला सकता है। कभी-कभी अराजक तत्वों की घुसपैठ करने से धार्मिक उन्माद बढ़ाने का भी काम किया जाता है ।
सोशल मीडिया के कुछ किरदार पैसे के लालच में फर्जी आईडी से फेस बुक व वाट्सऐप पर भ्रामक विचारो को जनता पर परोसने का प्रचार करते है। राष्ट्रविरोधी नारों के प्रचार से देश की छवि धूमिल करने का प्रयास करते है।
जम्मू-काश्मीर में धारा 370 हटने से पूर्व फेसबुक ग्रुप वाॅट्एप ग्रुप सन्देशो से उनकी जेहादी मानसिकता को बढ़ाने व लोगो को एक जगह एकत्र होने सेना पर पत्थर फकने का निर्देश दिया जाता था। महाराष्ट्र में किसान आन्दोलन। वर्तमान समय में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देश पर में हिसंक आन्दोलन किये गये। जेएनयू विश्वविद्यालय, जामिया मीलिया इस्लामिया, व एएमयू विश्वविद्यालय में भी छात्र आन्दोलन का हिंसक रूप देखने को मिला है।
मुस्लिम लोगो की नागरिकता छिनने का भय दिखा कर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। दिल्ली का शाहीन बाग की सड़क को एक महीने बंद किया गया है। नकारात्मक खबरों को इंटरनेट के माध्यम से वायरल कर भारत में अस्थिरता उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है।
वर्तमान समय में सोशल मीडिया में कोरोना के संक्रमण से सम्बन्धित भ्रामक अफवाहों का बाजार गर्म है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिम बहुल इलाकों में कम पढ़े-लिखे युवा इस महामारी को बहुत हल्के में ले रहे है तथा के सरकार द्वारा बनाये गये नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
इस माध्यम से साइबर क्राइम बढ़ रहे है। फेेक आइडेन्टिटी से फोटो एडिट कर किसी भी व्यक्ति की छवि का नुकसान पहुुंचाया जा सकता है।
यदि आप सरकार के फैसले से सन्तुष्ट नहीं है तो आप सरकार से सीधा संवाद करके विचार-विमर्श कर सकते है। किंतु सरकार की हर बात का विरोध कर आप समाज को अस्थिर करने में जुटे हैै।
सोशल मीडिया में क्या सही है या क्या गलत इससे राष्ट्र में आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा इससे हिंसक आन्दोलन भड़केगा या नहीं इस बात को नजर अंदाज कर अपनी विचारधारा को अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़ने को प्रयास करती है।
सरकार द्वारा अफवाहो व हिंसा को रोकने के लिए इंटरनेट पर पाबन्दी लगायी जाती है। एक अनुमान के मुताबिक ही 40 मिनट में एक फेसबुक पोस्ट को हटाने की रिपोर्ट दर्ज की जाती है।
सूचना तकनीक कानून की धारा 79 में संशोधन किया गया फेसबुक, गुग्गल आई की कंपनियां अपनी जिम्मेदारी से भाग नही सकती तथा उनकी जिम्मेदारी तय की जाये।
हम यह कह सकते है कि दो व्यक्तियों की विचारधारा भिन्न हो सकती है वह अपनी विचार धारा को रख सकता है किंतु जब देश की अखंडता का प्रश्न उठता है तब वहां पर इस विचारधारा पर सरकार द्वारा लगाम लगाई जानी चाहिए।
सोशल मीडिया के माध्यम से ज्ञान के अखंड समुद्र में गोता लगा कर अपनी रूचि के अनुसार अपनी रूचि के अनुसार ज्ञान की जिजिविषा को शान्त कर सकते है। सकारात्मक विचारो से हम देश को जागरूक करे तथा जन-जीवन आपस में प्रेम व सौर्हाद के साथ प्रगति के पथ पर आगे बढ़े।
1 comments:
Nice👌👌👌
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