बच्चों व युवाओं की अनियमित दिनचर्या व असन्तुलित खान-पान और स्वास्थ्य
वर्तमान समय में एक दूसरे से आगे निकलने की प्रतिस्पर्धा में बच्चों की दैनिक गतिविधियो को प्रभावित किया है। आज के बच्चे व युवा जल्दी सो और जल्दी उठो की उक्ति को नजर अंदाज करते हुए अपनी मनमानी करते है। उनके जागने व उठने का कोई समय नही है। रात में देर तक जागना और सुबह देर से उठना उनकी दैनिक दिनचर्या का अंग बन गया है। पहले समय में घर में रहने वाले बड़े-बुजुर्ग अपने बच्चोे व युवाओं को कहते थे रात में जल्दी सो और सुबह जल्दी उठो। अगर रात में देर तक जागना है तब भी सुबह जल्दी उठकर अपने दैनिक क्रिलापो को कर के विश्राम करें।
बच्चों व युवाओं अनियमित दिनचर्या व असन्तुलित खान-पान और स्वास्थ्य
किन्तु आज के बच्चे व युवा अपनी बाडीक्लाक (body-clock) की अवहेलना करने अपनी दिनचर्या को अपनी मर्जी के अनुसार चलाने की कोशिश करते हैं। उनके पास अनेक तर्क व कुतर्क होते हैं। मसलन हम पर पढ़ाई का ज्यादा बोझ है इसलिए हमें देर तक जागना होता है। हम दिन में पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नही दे पाते। दिन में एकाग्रता नही रहती तथा रात में निश्चिंत होकर पढ़ते है। अगर सुबह कोई आवश्यक कार्य नही है तो सुबह जल्दी उठने की आवश्यकता क्या है। हमें रोज आठ घन्टे की नींद लेनी है वह हम चाहे सोकर पूरा कर सकते है। युवाओ को अपने स्वयं के बाडी क्लाक का ध्यान नही रखतें है।
इसका परिणाम यह होता है कि उनकी दिनचर्या अनियमित हो जाती है। उनका शरीर इस प्रकार से निश्चित हो जाता है कि अगर रात में कोई आवश्यक कार्य नही भी है तब भी वे सो नही पाते। उनकी देर रात जगने की आदत शुमार हो जाती है तथा रात में नींद नही आती तथा चाह कर भी जल्दी सो नही पाते है। देर रात तक जगने व सुबह जल्दी न उठ पाने के कारण युवा स्वस्थ अनुभव नही कर पाते तथा उन्हें छोटी-छोटी बात पर गुस्सा चिड़चिड़पन व बेचैनी का भाव उत्पन्न हो जाता है।
बहुत से जागरूक माता-पिता बच्चों के रात तक देर से जागने की कार्यशैली नाराज रहते है तथा बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित रहते हैै। किंतु उनके बार-बार समझाने का असर नही होता। कुछ माता-पिता बच्चो की दिनचर्या नियिमित करने केे लिए मनोवैज्ञानिकों से भी परामर्श लेते है। कितु चिकित्सक कहते हैं कि बच्चो को अपनी दिनचर्या के नियमित करने का प्रयास धीरे-धीरे करना चाहिए।
प्राकृतिक नियमो की अवहेलना कर सुबह की ताजी हवा व स्वच्छ आक्सीजन को नही ले पाते तथा सुबह की सिकनेस का अनुभव करते हैं इसप्रकार उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। तथा ये बच्चे युवा होते ही अनिद्रा के शिकार हो जाते है।
अनियमित दिनचर्या के साथ ही असंतुलित खान-पान भी युवाओ को मोटापा व अन्य बिमारियो को न्योता देता है। आज के युग मे बाजार में उपलब्ध फूडपैक जंकफूड पैक व तले-भुने भोजन पिज्जा बर्गर को पसन्द करते है। तथा पौष्टिक तत्व जैसे फल-फून व हरी सब्जियो व सादा भोजन खाना पसन्द नही करते जिससे उनके स्वास्थ्य में भी गिरावट आती है ।
ये बच्चे व युवा कम उम्र में ही डाइबटिक व कुपोषण व अनियमित रक्तचाप के शिकार हो जाते हैै। योग व्यायाम व सुबह की सैर को नजरअंदाज करते है तथा बिमार युवाओं का फौज तैयार हो जाती है। वे अपने स्वास्थ्य के लिए अपने कार्य के बोझ को जिम्मेदार मानते है न कि अपनी दैनिक दिनचर्या को। इन सभी परेशारियों से घिरा बच्चा व युवा समाज देश का क्या भाविष्य तय करेगा। अब हम अपनी उपरोक्त समस्याओं के समाधान के लिए अपनी दिनचर्या को नियमित व खानपान को संतुलित करना पड़ेगा यह देश के हर युवा का कर्तव्य है।
एक सर्वे में यह कहा गया है कि 50 प्रतिशत वयस्क नींद न आने की बीमारी से ग्रस्त है।33 प्रतिशत सड़क हादसे नींद न पूरी होने से होते है। अनिद्रा 86 प्रतिशत बिमारियों काराण है।
जिस प्रकार से हम हेल्थ हाईजीन का (health-hygiene) ध्यान रखते हैं उसी तरह हमें स्लीप हाईजीप (sleep-hygiene) का ध्यान रखना चाहिए।
अच्छी नींद शरीर में स्फर्ति तथा शक्ति प्रदान करती है तथा जीवन की लड़ाई को लड़ने के लिए नये रूप से तैयार करती है
अच्छी नींद मानव स्वास्थ्य के लिए वरदान है। अच्छी नींद के द्वारा हम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते है।
लंदन कि ट्रेंडस इन न्योरोसाइन्स (Trends in Neuroscience) के जर्नल में प्रकाशित शोध से यह पता चलता है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
अच्छी नीेद मेें मेलाटोनिन के स्राव को बढ़ाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस हारमोन्स का 75 प्रतिशत स्राव नींद के दौरान निकलता है।अच्छी नींद मानव मन की स्थिति को सुधारती है तथा यह मूड बूस्टर का काम करती है
मैथ्यु वाल्कर ने अपनी पुस्तक वाय वी स्लीप (why we sleep) में लिखा है कि नींद एक प्रभावी चीज है यह हर दिन मानव मस्तिष्क के स्वस्थ्य को बढ़ाती है तथा उर्जावान बनाती है।
कुछ सुझाव जो बच्चों व युवाओं को जरूर स्वीकार करने चाहिए।
सुबह जल्दी उठ। योग व व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाये।
खान-पान में संयम बरते पिज्जा बरगर तली भुनी चीजो से परहेज करे।
घर का बना सारा व सुपाच्य भोजन करे। आप यह ध्यान रखे की आप जीने के लिए खा रहे है न कि खाने के लिए जी रहे हेै।
थोड़ा प्रकृति के सम्पर्क आये तथा उनसे संवाद स्थापित करे अर्थात प्रकृति की सुन्दरता को निहारें हवा के झोंका पक्षियों का कलरव को आनन्द ले। प्रकृति व पशुओं मे प्रेम प्रदर्शित करे।
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Di✍👍
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