जम्मू-काश्मीर से धारा 370 हटना एक सराहनीय कदम
जम्मू-काश्मीर से धारा 370 हटना भारत की अखंडता का सुनहरा भविष्य है। जम्मू काश्मीर में धारा 370 को हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 386 तहत 5 अगस्त 2019 को गृह मंत्री अमित शाह जी ने जम्मू काशमीर पुर्नगठन विधेयक 2019 राज्य सभा में पेश किया तथा दो तिहाई बहुतम से पास किया गया। 6 अगस्त को लोगसभा में प्रस्तुत किया गया तथा वहां पर भी भारी बहुमत से पास किया गया। इसके पश्चात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर कर भारतीय संविधान में धारा 370 व अनुच्छेद 35 ए को हटा दिया। यह धारा तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू व राष्ट्रपति डा0 राजेन्द्र प्रसाद के हस्तरक्षर से प्रेेसिडेंशियल आर्डर के जरिए भारतीय संविधान में जोड़ा गया था तथा पुनः प्रेेसिडेंशियल आर्डर के तहत हटा दिया गया।
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जम्मू-काश्मीर से धारा 370 हटना एक सराहनीय कदम |
जम्मू काश्मीर को दो हिस्सों में बांटा गया हैै। जम्मू काश्मीर और लद्दाख को इन दोनो केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया जम्मू काश्मीर विधान सभा के साथ केन्द्र शासित प्रदेश जबकि लद्दाख बिना विधान सभा के। अब दोनो प्रदेशो का प्रशासन उपराज्यपाल के हाथ में होगा। अब देश में 28 राज्य व 9 केन्द्र शासित प्रदेश बन गये। जम्मू काशमीर के उप राज्यपाल जी सी मर्मू तथा लद्दाख के उप राज्यपाल आर के माथुर ने पद भार संभाला।
चीन ने जम्मू काश्मीर के फैसले पर अपनी आपत्ति जताई तथा इसे गैर कानूनी कहा। किन्तु यह भारत ने इसे अपना आंतरिक मामला कहा। पाकिस्तान इसके विरोध में संयुक्त राष्ट् गया किन्तु वहां पर इसके विरोध का सर्मथन नही किया। भारत के पक्ष में अमेरिका रूस फ्रान्स आदि अनेक देशो का समर्थन मिल गया। किन्तु चीन मलेशिया टर्की ने इसका विरोध किया।
हम यहां पर जम्मू-काशमीर को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने केे विवाद से उत्पन्न पृष्ठ-भूमि को इतिहास के पन्ने से देखने का प्रयास करते है।
15 अगस्त 1947 को भारत आजादी के साथ भारत व पाकिस्तन दो देशो के रूप में अस्तित्व में आया। मूलरूप से जब भारत में एकीकरण के लिए इंडियन इंडिपेंडेन्डस एक्ट पास किया था । उस समय भारत 565 रियासतों में बंटा था। भारत के भू-भाग का 60 प्रतिशत ब्रिटिश के पास था तथा 40 प्रतिशत भाग रियासतो के पास था। उस समय उप प्रधानमंत्री व गृह मंत्री बल्लभ भाई पटेल को रियासतो के मंत्रालय का कार्य-भार सौपां गया। उन्होंने सचिव वी पी मेनन के मिलकर छोटी -छोटी रियासतों तो मिला लिया। उनके एक हाथ में गाजर तथा एक हाथ में लाठी थी। वे पहले प्यार से समझाते थे फिर धमकाते थे। किन्तु बड़ी रियासतें जैसे हैदराबाद, जूनागढ़, भोपाल भी साम दाम दण्ड भेद से मिला लिया।
किन्तु उस समय जम्मू-काशमीर पर राजा हरि सिंह का शासन था। वह मुस्लिम बहुल इलाका था किन्तु शासक हिन्दु थे। वे नेपाल की तरह एक स्वतंत्र देश का सपना देखते थे। पाकिस्तान की इच्छा थी जम्मू-काश्मीर को पाकिस्तान में मिला ले । तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने कबिलाइयों जनजातियों को सेना के सहयोग से भारत में चोरी छिपे युद्ध करने के लिए भेजा। जब युद्ध प्रारम्भ हुआ तब राजा हरि सिंह ने भारत से मदद की गुहार लगायी। 20 अक्टूबर 1947 को भारत के विलय पत्र पर हस्ताक्षर हो गयेे। उस दौरान भारतीय सेना ने कबिलाइयों से युद्ध कर उनको खदेड़तें हुए पीओके तक पहुंचे थे।
इसी बीच प्रधानमंत्री नेहरू जी ने 2 नवम्बर 1947 को आल इंडिया रेडियो से नेहरू जी ने घोषणा की जब शान्ती व्यवस्था स्थापित हो जायेगी तब हम कशमीर में जनमत-संग्रह करायेगे। नेहरू जी इस समस्या का हल निकालने के लिए 1 जरवरी 1948 संयुक्त राष्टृ पहुंचे। 13 अगस्त 1948 को संयुक्त राष्ट् ने एक प्रस्ताव पास किया। संघर्ष विराम किया जाय, तथा पूरे जम्मू-काशमीर की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत को सौंपी तथा जम्मू-काशमीर की संप्रभुता पर कोई आंच नही आयी। इसमें यह भी कहा गया दोनो देश अपनी सेनाओ को हटा ले घुसपैठियों को रोके तथा पाकिस्तान अपने नागरिकों को पीओके से हटा ले। इस स्थिति मे जम्मू काश्मीर का एकतिहाई हिस्सा पाक के कब्जे में चला गया, अक्सइचिन पर चीन का कब्जा हो गया।
26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान बना। सन 1952 में सदर ए रियासत राजा हरि सिंह को हटाकर शेख अब्दुल्ला को सदर ए रियासत बना दिया। 1952 दिल्ली समझौता की शर्तो को लागु किया गया । जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1953 में दो निशाने,दो संविधान व दो प्रधान का विरोध का विरोध किया तो उन्हे जेल में डाल दिया गया। तथा वहां उनकी अस्वाभाविक मृत्यु हो गयी। 1954 में राष्ट्पति के आदेश पर संविधान 1954 भारतीय संविधान मे जोड़ा गया। तब बाद में शेख अब्दुल्ला व नेहरू की जी आपसी सहमती से अुच्छेद की धार 370 और 35 ए को पीछे के दरवाजे से लागू किया गया। जिसम स्थायी नाागरिकता, जमीन का अधिकार, नौकरी संबधित कनून प्रमुख थे।जम्मू काशमीर का संविधान 26 नवम्बर 1956 को लागू हुआ । 1959 में चुनाव आयोग का भी सिफारिशो को लगाने को प्रावधान था। 20जून 2018 को जम्मू काश्मीर में विधान सभा को भंगकर राष्ट्रपति शासन लागु किया गया।
जम्मू-काश्मीर की भौगोलिक स्थिति जनसंख्या
2011 वर्ष की जनगणना की रिर्पाट के अनुसार वर्तमान समय में जम्मू काश्मीर का क्षेलफल 2,22,336 वर्ग किमी0 है तथा पाक अधिकृत काश्मीर का क्षेत्रफल 1,38,236 वर्ग किमी0 है। तथा लद्दाख का क्षेत्रफल 59,146 वर्ग किमी0 है।जम्मू काश्मीर की जनसंख्या लगभग सवा करोड़ है जबकि लद्दाख की जनसंख्या तीन लाख है। जम्मू-काश्मीर में हिन्दु आबादी 28.8 फीसदी है जबकि मुस्लिम आबादी 68.8 फीसदी है। यहां पर 53 फीसदी लोग काश्मीरी भाषा बोलते है, 20 फीसदी डोगरी व 1.7 प्रतिशत पंजाबी व अन्य भाषा बोलते है। जबकि लद्दाख की आबादी 12.1 प्रतिशत हिन्दु व 46.4 प्रतिशत मुस्लिम व अन्य 41.1 प्रतिशत है।
जम्मू-काश्मीर में 2004 से 2019 तक लगभग 15 वर्षाें में 2लाख 72 हजार कारोड़ रूपये की मदद की गयी। वहां पर प्रतिव्यक्ति खर्च 14253 रूपये खर्च किये गये जबकि दूसरे राज्यों में प्रति व्यक्ति खर्च 3683 किये गये। वहां पर कुल आबादी का 1प्रतिशत है जबकि खर्च 10 प्रतिशत किया गया है। वहां भेजी गई रकम विकास की गति से अलग-अलग राजनेताओं ने अपनी झोली भरने में किया तथा यह एक अविकसित राज्य ही बना ।
भारतीय संवीधान में धारा 370 व अनुच्छेद 35 ए का हटना देश हित व समाज हित में महत्वपूर्ण सराहनीय कदम है। यह व्यवस्था अस्थायी तौर पर लगायी गयी थी। जिसमें जम्मू काश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। अब हम यहां पर इसके कुछ कानूनी पहलुओ पर अपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते है।
1 इस धारा के कारण वहां के नागरिको को दोहरी नागरिकता प्राप्त थी। पहली जम्मू-काश्मीर की तथा दूसरी
भारत की। यहां पर काश्मीर राज्य का अलग झंडा जो इसे देश के अन्य राज्यो से अलग करता था। भारतीय
तिरंगे व प्रतीको अपमान अपराध नही है।
2 वहां पर भारत के किसी भी अन्य राज्य के नागरिक को बसने या जमीन खरीदने का अधिकार नहीं था। जो
1954 के 10 वर्ष पहले से रहते थे उन्हें ही वहां की नागरिकता प्राप्त थी।
3 सरकारी नौकरियों, या अन्य सरकारी संस्थानों, विद्यालयों विश्वविद्यालयों में दूसरे राज्य से आये
नागरिकों को नौकरी नही दी जा सकती थी। जबकि जम्मू काश्मीर के रहने वाले किसी अन्य राज्य में
जाकर नौकरी करने व जमीन खरीदने का अधिकार था।
4 अगर वहां की महिलाये दूसरे राज्य में रहने वाले व्यक्ति से विवाह करती है तो उन्हे सम्पत्ति के
अधिकार से बेदखल कर दिया जाता था। अगर को पाकिस्तानी नागरिक काश्मीरी महिला से विवाह करता है तो उसे जम्मू काश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी।
5 भारत सरकार के केवल सुरक्षा विदेश नीति व संचार मंत्रालय का ही अधिकार प्राप्त था। वहां की विधान
सभा का सत्र 6 वर्ष का होता है तथा विधान द्वारा पारित आदेशो पर कार्य करना होता था।
6 वहां पर संविधान की धारा 356 लागु नही की जा सकती। भारत के राष्ट्पति को विधान सभा को
अधिकार नही था। जम्मू-काश्मीर में आई0पी0सी0, आर0टी0आई0, आर0टी0ई0 की धारा लागू नही है
बल्कि आर0पी0सी0 अर्थात रणवीर पीनल कोड की धारा लागू है।
अधिकार नही था। जम्मू-काश्मीर में आई0पी0सी0, आर0टी0आई0, आर0टी0ई0 की धारा लागू नही है
बल्कि आर0पी0सी0 अर्थात रणवीर पीनल कोड की धारा लागू है।
7 जम्मू-काश्मीर में सफाई कर्मचारियों को वहां को लाया गया लेकिन उनको कोई अधिकार नही है तथा उनको
केवल वही काम करने को कहा है।
मुठ्ठी भर लोगो की राजनैतिक कुर्सी का मोह ही
इस अस्थायी धारा को बनाये रखने का षडयन्त्र है।
मुस्लिम बहुल राज्य होने के कारण उनका स्वाभाविक झुकाव पाकिस्तान की तरफ जो उन्हे अलग देश बनाने की प्रबल इच्छा थी। इन उपरोक्त कारणों से अलगावदी विचार धाराओे को बल मिलता है। इन उपरोक्त कारणों से अलगावदी विचार धाराओे को बल मिलता है। आंतकवाद और अलगाव वाद को पूरी तरह से फलने-फूलने का मौका मिलता था। वे स्वयं को भारत का हिस्सा मानने से इनकार करते थे।
वहां पर 1990-1992 के दशक वहां पर रहने वाले काश्मीरी पंडितों को नरसंहार व कत्लेआम कर भगा दिया तथा कट्टर मुस्लिम जेहादियोें के समर्थन में आये दिन कत्ले-आम तोड़-फोड़ व हत्या की वारदात को अंजाम देते थे। वहां पर कुछ पाक परस्त लोग जिहाद को पोषित करते हुए पाकिस्तानी आंतकवादियों की मदद कर मासूम लोगों का नरसंहार करते थे। वहां के युवाओ में अलग देश के मांग की छवि कूट कूट कर भरी गयी थी। वहां पर आये दिन सेना के जवानों की हत्या, निर्दोष नागरिकों की हत्या, अपहरण, चोरी बैंको के लूट की घटना, नकली नोटो का कारोबार, ड्गस की तस्करी, पत्थरबाजी की वारदात को अंजाम देते थे। वहां कम पढ़े-लिखे व गरीब बेरोजगार काश्मीरी युवाओं को कुछ रूपयों का लालच देकर गुमराह कर कत्लेआम करते तथा जन्नत में हूरों से मिलवाने का ख्वाब दिखलाते थे। इस कार्य को जेहाद को रूप देकर युवाओं को प्रेरित करते थे वे धर्म का कार्य कर रहे है।
वहां शेख अब्दुल्ला, मुफती महमूद व कांग्रेस की सरकारे थी तथा वहां पर भारत की अखंडता एकजुटता, सुरक्षा व शांती का कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं किया जा सका। वहां पर बड़े-बडत्रे रजीनितिक नेताओ के बच्चे विदेशो उच्च शिाक्षा प्राप्त करके विदेशो में बसते थे सामन्य जनता पत्थरबाजी आंतकवाद व जेहाद का पाठ पढ़ाया जाता था। ऐसा प्रतीत होता था कि पाकिस्तानी एजेन्ट भारत की धरती को लहुलुहान करने का ठेका लें लिया था। बड़ी से बड़ी वारदात के बाद भी काशमीरी नेताओ के द्वारा लिए कोई भी सख्त कदम उठाने का साहस नहीं था। धारा 370 के हटने से जम्मू काशमीर से विशेष राज्य का दर्जा हट गया।
वर्तमान स्थिती, बदलाव व विकास की गति
1 वर्तमान स्थिती में हम देखे तो अब हम कह सकते है कि जम्मु काशमीर व लद्दाख के नागरिको को वो
सभी अधिकार प्राप्त है जो देश के किसी भी कोने में रहने वाले लोगो को है।
2 देश के संविधान के अन्र्तगत दिये गये आरक्षण वहां पर लागु है।
3 आरटी आई आई अर्थात सूचना का अधिकार , आर टी ई अर्थात शिक्षा का अधिकार प्राप्त हो गया है। वहां
पर जाकर रोजगार कर सकते है।
4 देश का तिरंगा ही फहराया जायेगा। भारत के प्रतीक चिन्हो का अपमान करना अपराध माना जायेगा ।
5 इस धारा के हटने से पंचायत के सदस्य नयी व्यवस्था से काम कर सकेगे।
6 वहा पर कोइ भी देश का नागरिक जमीन खरीद सकता है। नये उद्योग लग सकते है। होटलो
खोले जायेग।
7 अल्प-संख्यको की सुरक्षा के लिए माइनारिटी एक्ट पास किया है
8 श्रमिकों के हित के लिए मिनिमम वेजस एक्ट लागू होगा। जम्मू-काश्मीर व लद्दाख के लिए 9 केन्द्रिय राज्य कर्मियों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जायेगी अन्य क्रेद्रिय शासित प्रदेशो की तरह सुविधाये दी जायेगी।
10 अलगावादी व आंतकी गतिविधियां समाप्त हो जायेगा तथा भ्रष्टचार के उन्मूलन कैग जैसे
संस्थाओ द्वारा भ्रष्टाचार पर नियन्त्रण किय जा सकेगा।
11 वहां के लोगो का मतदान का अधिकार मिलेेगा। वहां की महिलाओ को सम्पत्ति का अधिकार
रहेगा चाहे वह किसी भी राज्य के नागरिक से विवाह करती है।
12 सुप्रीम कोर्ट जो भी जनहित या में जो भी कानून बनाये जायेगें सुविधाये प्रदान की जायेगी उनको पूरी
तरह से लागू किया जायेगा।
13 प्राइवेट कम्पनियां वहां पर निवेश करेगी, होटल पर्यटन स्थल अस्पताल तथा नये -नये उद्योग लगेगें।
जिससे वहां के लोगो का रोजगार मिलेगा तथा विकास की गति को बल मिलेगा।
संक्षेप में हम कह सकते है कि एक देश एक कानून के बनने से पूरे देश में खुशी छा गयी किन्तु कुछ काग्रेंस के नेता, अलगाव वादी व पाक परस्त लोग इसे लोगो के साथ छल हुआ ऐसे वे मानते है। हमरा पड़ोसी देश पाकिस्तान देश इस काश्मीर पुर्नगठन विधेयक के पास होने से पूरी तरह तिलमिला गया देश की शांती को भंग करने के लिए आंतकियों व आइएसई की मदद बड़ी आंतकी घटना को अंजाम देने का असफल प्रयास कर रहा है।
धारा 370 व 35ए के हटने से पिछले कुछ महीने से आंतकवाद पर प्रभावी नियंत्राण में सफलता प्राप्त की है। सामान्य जन-जीवन व्यवस्थित होने से विकास के नये रास्ते को गति मिलेगी। जम्मू-काश्मीर भी समृद्ध राज्य बन जायेगा तथा एक खूबसूरत राज्य के रूप में भारत के मुकुट में तिरंगा शिरोधार्य लहरायेगा।
1 comments:
Super👌
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