बिखरता परिवार दरकते रिश्ते

बिखरता परिवार दरकते रिश्ते 


        21वीं सदी की तरफ भारतीय समाज में प्रगति के नये-नये आयामों को छूते युवा जन अपनी संस्कृति को पीछे छोड़ते नजर आतेे है। इस भौतिक युग में आजीविका को प्राप्त करने के लिए गांवो से शहरों व देश से विदेशों की ओर पलायन करते युवा अपने मानवीय मूल्यों  जैसे दया, क्षमा, त्याग , उदारता,  व मानवीय भावनाओं को नजरअंदाज करते आ रहे है। आज की युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति का अन्धानुकरण के कारण काल के उस चक्रव्यूह में उलझकर मूल्यों इन्सानियत पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है।


बिखरता परिवार दरकते रिश्ते
बिखरता परिवार दरकते रिश्ते 

स्ंयुक्त परिवार से एकल परिवार तथा न्यूक्लियर परिवार की तरफ बढ़ते रूझान के कारण युवा अपने मानवीय मूल्यों व भावनाओं को अनदेखा कर रहे है। अपने में ही सिमटती पीढ़ी पुरानी पीढ़ी के विचारो व संस्कारो व्यवहारों को मूखर्तापूर्ण व दकियानूसी समझती है। व्यक्ति को परस्पर साथ जीने की कला तथा सुद-दुख बांटने की अनुभूति को खोती जा रही है। यह पीढ़ी यह नही जानती संस्कार कि रहित युवा पीढ़ी भविष्य में आने वाले बच्चों को सा सुख प्रदान कर पायेगी।

        आज के युवा भले ही ऊँचे  मुकामों में पहुंच रहे है किन्तु परिवार में आपसी ताल-मेल बैठाने में असमर्थ  है। आज के युवा भौतिक युग में भले ही झंडा गाड़ रहे है किंतु परिवार में माता-पिता, भाई -बहन, पति-पत्नी, सहपाठियों, मित्र-मण्डली, कार्यालय के सहकर्मियों व अधिकारियों से आपसी सामंजस्य नही स्थापित कर पाते है।

       युवाओं को अतिव्यस्तता के कारण संवादहीनता ही रिश्तो को झकझोरने में समर्थ है। आज के युवा दस से बारह घंटे अपने कार्यक्षेत्र में व्यस्त रहते है जिससे घर मे अपने माता-पिता बच्चों पति-पत्नी बच्चों को अपना समय नही दे पाते। समय के अभाव से रिश्तों में पसरता सन्नाटा एक अजीब सी उदासीनता को जन्म देता है।

   माता-पिता से संवादहीनता के कारण संबधो मे बिखराव देखने को मिलता है तथा परिवार में माता-पिता स्वयं को उपेक्षित महसूस करते है। इसीप्रकार अगर घर में बच्चे हैं तो वे अपने बच्चों को क्रेच या नौकरो के सहारे बच्चों की परवरिश के लिए छोड़ देते है।

छोटे बच्चों को प्यार दुलार व माता-पिता का सानिध्य नही मिल पाता जिससे ये बच्चे किशोर से युवा से होते  अपनी जिद मनवाने के लिए हर तरह के जतन करते है। अपनी ही धुन में रहते है, जो मैं कह रहा हूं वह सही है तथा उनकी भलाई के लिए दिये गये आदेशो को मानने से इन्कार करते है तथा अहं ब्रह्मास्मि के सिद्वान्त का शत प्रतिशत पालन करते है। मानवीय संवेदनाओे से शून्य होते है।

यही युवा जब नौकरी करते है तथा विवाह आदि के बन्धन में बंधते हैं तब उनके जीवन में जुड़े नये रिश्तो से समान्जस्य नही बैठा दिक्कत से परेशानी आती है। वह रिश्तो में समय नही दे पाते तथा छोटी बातों को लेकर एक मतभेद उत्पन्न हो जाते है। ये एकान्तवासी हो जाते है। जिदंगी को अपने अनुरूप न चला पाने के कारण उनमे असंतोष उत्पन्न हो जाता है।

        वही दूसरी ओर अगर हाउस वाइफ है जहां बच्चे बड़े को गये है तो खाली समय बैठे-बैठे  स्वयं को उपेक्षित महसूस करने लगती है, धीरे-धीरे अवसाद में चली जाती है। आज कल ज्यादातर परिवार में चूल्हे अलग हो रहे है हर रिश्तों में प्रश्न चिन्ह लग रहा है। आत्मक्रेन्द्रित युवा तनाव में आकर नशा करने लगते है या अवसाद में चले जाते है। अहं का टकराव रिश्तो में दरार का प्रमुख कारण है।

उलझते रिश्तो को समेटने के लिए उठाये गये कुछ व्यवहारिक कदम पर ध्यान देना चाहिए।
        परिवार में रिश्तो में नीरसता को दूर करने परस्पर भाईचारे व तालमेल को बैठाने के लिए रिश्तो में सकारात्मक सोच को बढावा देना चाहिए, अर्थात जो भी परिवार के लोग माता-पिता व भाई-बहन है आपके के साथ रहते उनकी भावनाओ का सम्मान करे तथा दिन भर  घटित होने वाली छोटी-छोटी बातों, दुख-सुख को आपस में बांटे करे। उनके मन की सुनी व अपनी कहें। हमें किसी से रिश्ते से हम अधिक उम्मीद रखते जब वह पूरा नही होता तो गुस्सा उत्पन्न होता हैै। किसी भी सदस्य के मन मंे असुरक्षा की भावना को दूर करने का प्रयास करे।
  • जीवन साथी की भावनाओं  का सम्मान करे तथा जो जैसा है उसी को उसी रूप स्वीकार करें। अपनी इच्छाओ का दूसरे पर दबाव डालना चाहिए।
  • अगर किसी से नाराजगी है तो उससे बात कर दूर करने का प्रयास करे न कि चुप्पी साध लेना। नाराजगी को शब्दों से व्यक्त कीजिए न कि दिल से लगाना चाहिए। एक दूसरे पर विश्वास करे, उसकी भावनाओ की कद्र करे एक अच्छे श्रोता बने। गलतफहमी दूर करने का प्रयास करे। अपनी गलतियों को बेहिचक स्वीकार करे क्षमा मांगे।
  • परिवार के लोगो रिश्तेदारों व बच्चों साथ के छुट्टियों में बाहर घूमने जाये।
  • पास-पड़ोस से संबन्ध बना कर रखे, सामाजिक गतिविधियों मे भाग ले तथा जागरूक नागरिक बने।
  • आप चाहे संयुक्त परिवार में रहें या एकल परिवार में अपने रिश्तों को पर समय दे तथा हमेशा ही हर परिवार के सदस्य को यह अहसास दिलाये आप हमारे लिए कितने अनमोल है।




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Hi. I’m Madhu Parmarthi. I’m a free lance writer. I write blog articles in Hindi. I write on various contemporary social issues, current affairs, environmental issues, lifestyle etc. .

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1 comments:

Unknown said...

Kya bat h di bhut khoob👌👌👌