नागरिक संशोधन कानून (C.A.A) अफवाह व आन्दोलन
Citizen Amendment Act
नागरिक संशोधन कानून लोगो को नागरिकता देने का कानून
नागरिक संशोधन विधेयक लोक सभा व राज्य सभा में बहुमत से पास हो गया तथा राष्ट्रपति के रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर से इसे कानून का रूप दे दिया गया है। इस कानून के अन्र्तगत पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान से आये हिन्दु, जैन, बौध, पारसी, सिख, ईसाई आदि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो को नागरिकता देने का प्रावधान है जो दिसम्बर 1914 तक भारत में आकर शरण ले चुके है। ये लोग वहां के अल्पसंख्यक समुदाय से है जो मुस्लिम देशो से प्रताड़ित व शोषित होकर अपने धर्म की रक्षा करने तथा अपने लोगों की बहु-बेटियों की आबरू बचाने के लिए भारत में आकर शरण लिए है, इन लोगो को नागरिकता देने का कानून है। यह किसी की नागरिकता छीनने का कानून नही है।
विभिन्न विपक्षी दल के नेता के विचार
किन्तु अब यहां पर मौजूद विभिन्न विपक्षी दल के नेता व विभिन्न राज्यों के सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री इस
कानून को अपने राज्य में लागु करने से मना कर रहे है तथा प्रदेश व्यापी जन आन्दोलन खड़ा कर रहे है।
सभी विपक्षी दलों के नेताओ के दिए गये व्यक्तव्यों से यह स्पष्ट होता है कि इस कानून में मुस्लिम समुदाय
के लोगो को शामिल नही किया गया है इसलिए यह कानून भेदभाव पूर्ण है तथा मुस्लिम जनता के साथ
अन्याय हो रहा है। यह संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है।
यहां के बड़े-बड़े मुस्लिम संगठन इस बात को कह रहे हैं कि पाकिस्तान में मुस्लिम लोगों को भी प्रताड़ित
किया जा रहा है इसलिए उनको भी इस कानून के दायरे में लाया जाये।
बार-बार मुस्लिम जनता को गुमराह कर रहे हैं कि उनकी नागरिकता छिन जायेगी तथा उन्हें
डिटेन्शन कैंप में भेज दिया जायेगा।
जब हम इस को तार्किक दृष्टि से अध्ययन करते है तो यह कहना हास्याप्रद है।
15 अगस्त 1947 में भारत का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था। पाकिस्तान अफगानिस्तान व बंगला देश एक इस्लामिक देश है, वहां पर अल्प संख्यक हिंदु समुदाय है। भारत के आजाद होने पर महात्मा गांधी प्रधनमंत्री नेहरू व तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री लियाकत अलि खान ने कहा था कि दोनो देश अपने देश में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के साथ समानता का व्यवहार करेगें तथा अगर अल्पसंख्यक हिन्दू अगर भारत आना चाहे तो उसका स्वागत है तथा उनको भारत की नागरिकता दी जायेगी।
आजादी के समय भारत में 14 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय था किन्तु वर्तमान समय में इनकी जनसंख्या बढ़कर 24 प्रतिशत हो गयी है।
पाकिस्तान में आजादी के समय 23 प्रतिशत हिन्दू आबदी थी वर्तमान समय में घटकर 3 प्रतिशत हो गयी तथा बंगलादेश में 7 प्रतिशत हिन्दू है। इसका मतलब स्पष्ट है कि पाकिस्तानी में रहने वाले हिन्दुओं ने जबरन धर्म परिर्वतन कर लिया, मार दिए गये, या भारत में शरण ले ली या अन्य देशो की नागरिकता ले ली।
अब प्रश्न यह उठता है कि मुस्लिम समुदाय को प्रताड़ित कौन कर रहा है?
वहां पर मुस्लिम लोग धर्म के आधार पर तो प्रताड़ित नहीं किया जाता है अगर वे प्रताड़ित हो भी रहे है तो वे अन्य मुस्लिम देशो में शरण ले सकते है, अथवा भारत में नागरिकता लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया की तहत आवेदन कर सकते है। आजादी के बाद से बहुत से मुस्लिम लोगो को भारत में नागरिकता दी गई है ।
भारत में यहां के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को स्वतंत्रता समान अधिकार व सुरक्षा प्रदान की गई है। भारतीय समाज में समाज में हिंदु मुस्लिम का कोई भेद नहीं हैै, सभी को समान अवसर व शिक्षा दी जाती है। किन्तु पाकिस्तान ने अपने देश में रहने वाले अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया तथा उनके साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया।
इससे से यह साफ होता है कि यहां पर अल्पसंख्यक मुस्लिमों की संख्या भारत में बढ़ रही है इस्लामिक देश पाकिस्तान व बंगलादेश में घट रही है। मुस्लिम समाज की एक विडंबना है कि मुस्लिम समुदाय एक पिछड़ा अशिक्षित समाज है तथा यहां पर पढ़े-लिखे लोगो की प्रतिशत कम है यहां पर अल्ला के कानून की जगह मुल्ला का कानून चलता है। यहां के लोग मुल्लाओ के द्वारा दी गयी नसीहतो के आधार पर शिक्षित हो रहे है यहां के मदरसों में धार्मिक कट्टरता से धर्म के पालन की शिक्षा दी जाती है। यहां पर शिक्षा के प्रति जागरूक करने की जिम्मेदारी समाज के धर्म गुरूओं की है। लेकिन वे अपना उल्लू साधने के लिए भड़काने अफवाह फैलाने व दंगा करने पर जोर दे रहे है।
पढ़ालिखा मुस्लिम समाज इस कानून के विरोध मेें नही है । लेकिन कुछ विपक्षी राजनीतिज्ञ व मुस्लिम संगठन अपने वोटबैंक की राजनीति चमकाने के लिए कुछ विश्वविद्यालय जामिया मीलिया इस्लामिया, अलिगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय व जे0एन0यू विश्वविद्यालय व वामपंथी दल व कुछ बुद्धिजीवी वर्ग इस सरकार के विरोध शामिल हो गये है। उन्हे यह समझ मेें नही आ रहा कि अगर शरणार्थियों को नागरिकता दी जाती है तो मुस्लिम समुदाय की नागरिकता कैसे छिन जायेगी।
उन्हे घुसपैठियों व शरणार्थियों में भेद समझ में नही आ रहा। शरणार्थी वहां से प्रताड़ित होकर आते है तथा आकर सरकारी तंत्र को सूचना देते हैं। जबकि घुसपैठियो चोर दरवाजे से आते है तथा बिना किसी सरकारी तंत्र को सूचना दिये रहते है यहां पर रिश्वत देकर आधार कार्ड बनवा की ठाठ से रहते है तथा असामाजिक कार्य में लगे रहते है। पश्चित बंगाल में बहुत से घुसपैठिये व रोहिग्या मुसलमान इसी तरह से रहते हैै।
आज तक यह समझ में नही आ रहा है कि विपक्ष बार बार नागरिकता छिनने की बात कह कर की सी0ए0ए0 के बाद एन0आर0सी0 आयेगी तथा मुसलमानोे को निकाल दिया जायेगा। बार बार तर्क कुतर्क करके इसको हटाने की मांग कर रहा है तथा जनता को अपने पक्ष में करने के लिए नागरिकता छिनने बात कह कर अफवाह फैलाने व दंगा भड़ाकाने का प्रयास कर रहा है तथा अशांतिपूर्ण जन आन्दोलन कर तोड़-फोड़ कर देश की सम्पत्ती का नुकसान कर रहा है। कम पढे़लिखें युवा हाथ पर पत्थर लेकर आगजनी कर कानून के शिकजें में आकर जेल चले जाते है तब उनके परिवार की रोजी रोटी का सहारा भी छिन जाता है।
सरकार द्वारा इस कानून के सम्बन्ध मेें घर घर जाकर जागरूकता फैलाने का कार्य किया जा रहा है। तथा इस बात पर भी जोर दिया जा रहा है कि किसी भी भारतीय की नागरिकता नही जायेगी केवल दूसरे देश से प्रताड़ित शरणार्थी लोगो को नागरिकता देने का प्रावधान है।
10 जनवरी 2020 को यह नागरिकता संशोधन कानून लागु कर दिया गया है।
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