बेटियों की सुरक्षाः एक सुलगता प्रश्न

बेटियों की सुरक्षाः एक सुलगता प्रश्न


    भारतीय संस्कृति मेेे बेटियाँ अपनी चहँमुखी प्रतिभा के बल पर प्रगति के पथ पर नित्य नये कीर्तिमानों को स्पर्श कर रही हैं। महिला सशक्तीकरण को पूर्ण रूप से साकार करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रही है जैसे बेटी बचाओं और बेटी पढ़ाओं, ‘कन्या भू्रण हत्या निषेध’, ‘लाडली योजना’, ‘तेजस्वी योजना’, ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ इत्यादि। इनके अन्तर्गत वल्र्ड बैंक ने तेइस मिलियन डालर के निवेश का प्रावधान किया है। बेटियाँ समाज में कन्धे से कन्धा मिलाकर हर क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दे रही है। 

   समाज में व्याप्त हिंसा के कारण कदम-कदम पर बेटी की सुरक्षा को लेकर मन विचलित होता है। निर्भया काण्ड ने बेटियों की सुरक्षा को लेकर एक प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। आये दिन समाचार-पत्र, पत्रिका, मीड़ि़या के माध्यम से बेटियों के शोषण की घटनाएँ सामने आ रही हैं। छोटी-छोटी बेटियाँ घर-बाहर, स्कूल, कालेज, पास-पड़ोस, बाजार आदि सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षित नहीं है। पुरूष प्रधान समाज की विकृत मानसिकता बेटियों के मन में एक डर का वातावरण उत्पन्न हो रहा है। यहाँ पर हम बेटियों की सुरक्षा के विभिन्न सामाजिक कानूनी एवं व्यवहारिक पहलूओं की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं।

बेटियों की सुरक्षाः एक सुलगता प्रश्न
बेटियों की सुरक्षाः एक सुलगता प्रश्न


समाज में व्याप्त बेरोजगारी, अशिक्षा, गरीबी, नशाखोरी भी इस समस्या को बढ़ाने में सक्रिय है। किशोर होते हुए युवाओं में क्रोध, मानवीय मूल्यों का अभाव जैसे दया, क्षमा, सम्मान भी इस समस्या के लिए उत्तरदायी है। माता-पिता दोनों ही कामकाजी होने पर बेटी को स्वयं सुरक्षा कवच के घेरे के अन्तर्गत रखना चाहिए जैसे-


(1) बेटियों की परवरिश हेतु संयुक्त परिवार पर जोर देना चाहिए। 
(2) बेटियों की परवरिश केवल नौकरों या डे-केयर सेन्टर के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए।
(3) अबोध बच्चों को अजनबियों से घुलने-मिलने नहीं दिया जाना चाहिए। 
(4) छोटे बच्चों को अच्छे-बुरे स्पर्श को समझाना चाहिए। 
(5) अल्पव्यस्क एवं किशोर कन्याओं स्कूल, कालेज व अन्य सार्वजनिक स्थानों में जाते समय पुलिस का नम्बर 100 तथा अन्य मोबाइल एप रखे। 
(6) खुदा न खास्ता असमान्य परिस्थिति उत्पन्न हो जाये तो अपने पास मिर्च पावडर स्प्रे, आलपिन आदि से बचाने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए जूड़ों, कराटे, मार्शल आर्ठ इत्यादि भी सीखने चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर अपना बचाव कर सके।

बेटियों के सुरक्षा के सम्बंध में हम कानूनी पक्ष की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं। 

महिलाओं के सुरक्षा के अधिनियम 2005,   यौन उत्पीड़न अधिनियम 2012,   आपराधिक कानून(संशोधन) अधिनियम 2013         जैसे कानूनों का प्रावधान है जिसमें तीन वर्ष के कारावास की सजा दी जा सकती है। छेड़खानी, ब्लैकमेलिंग आदि के लिए तत्कालीन सरकार ने एण्टी रोमियो स्क्वाड़ बनाया है। पुलिस चैकियों में महिलाओ की नियुक्ति तथा उनके समस्याओं के यथाशीघ्र निस्तारण का प्रावधान किया गया है।

 पाक्सो एक्ट  के अन्तर्गत फेसबुक, ट्वीटर, साइबर क्राइम, ब्लैकमेलिंग पर तीन वर्ष के कारावास की सजा का प्रावधान है। छोटी-छोटी बेटियों के साथ बलात्कार करने पर फाँसी की सजा का प्रावधान है।
कार्यस्थल पर यौन शोषण पर भी सजा का प्रावधान है। वे अपनी शिकायते घर बैठकर ई-मेल के द्वारा भी दर्ज करा सकती है।
पाक्सो एक्ट एमेन्डमेन्ट बिल 1919 के अन्र्तगत नाबालिग बेटियो से बलात्कार करने पर 20 वर्ष की सजा या फांसी का प्रावधान किया गया है। पाक्सो  कोर्ट का गठन किया जाये गया जहां 100 से अधिक केस रेप के पाये जायेगें।

      फिर भी केवल कानूनों के बल पर ही इस समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता। पाशविक प्रवृत्ति के लोगों को, जिनको कानून का भय नहीं रहता, अगर मौका मिला तो जघन्य अपराध को अंजाम देने में चूके नहीं। चाहें 21वीं सदी हो या उसके आने वाली सदी में भी विकृत मनोवृृत्ति के लोग अपराध करने में देर नहीं करेगे।

      सरकार ने एक हजार करोड़ रूपये का बजट निर्भया कोष में दिया है जिसके अन्तर्गत शोषित पीड़ितों के उत्थान के लिए रखा गया है। व्यवहारिक पक्ष के रूप में हम यह कह सकते हैं कि चाहें हम कितनी भी प्रगति कर ले, देश के किसी भी कोने में चले जाये आत्मसुरक्षा, सर्तकता और जागरूकता के बल पर इस अपराध पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। इस अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए कानून का पूर्ण सहयोग लेना होगा किन्तु पहला कदम हमें स्वयं की सुरक्षा के लिए जागरूकता का उठाना चाहिए। 
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Hi. I’m Madhu Parmarthi. I’m a free lance writer. I write blog articles in Hindi. I write on various contemporary social issues, current affairs, environmental issues, lifestyle etc. .

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1 comments:

PRAVEEN KUMAR KHARE AGM SBI said...

महिला सशक्तिकरण से निश्चित रूप से देश को आगे बढ़ाया जा सकता है